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भारत वर्ष के भू भाग को दो प्रमुख हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है, प्रथम हिस्सा भारतवर्ष का उत्तरी हिस्सा जिसमें मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल एवं उडीसा आते हैंत्र यह भाग पहाडी नदियों द्वारा लाई गई जलोढ मिटटी से बना है। देश का यह हिस्सा समतल है। यहां भी नदियों में साल के बारहों महीने पानी उपलब्ध रहता है। वर्ष काल में वर्ष अधिक होने तथा भूमि के पोरस होने के कारण यहां पर प्रचुर मात्रा में भूगर्भ जल भी उपलब्ध है। यहां की भूमि भी समतल है। भूमि की गहराई कई सौ मीटर है। भूमि की उर्वरा शक्ति अधिक होने के कारण यहां पर थोडे से परिश्रम से फसलें उगाई जा सकती हैं
इसके ठीक विपरीत भारत वर्ष का दक्षिणी हिस्सा जिमें विशेषकर मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, महाराष्ट, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल प्रान्त हैं। यहां की भूमि उबड खाबड है है। मिट़टी की मोटाई एक फीट से भी कम है। भू गर्भ जल की उपलब्धता भी नहीं है। नदियों में केवल बरसात के महीनों मे जल उपलब्ध रहता है। भूमि की उर्वराशक्ति भी काफी कम है। उत्तर भारत में जीवन जहां आसान हैं वहीं दक्षितण भारत में जीवन काफी कठिन है। यदि भारतवर्ष के इतिहास का अवलोकन किया जाए तो पायेंगे कि भारत को प्राचीन काल से लेकर मध्य एवं आधुनिक काल में अधिकांश साम्राज्य उत्तर भारत में विकसित हुए। दक्षिण भारत में भी जो छोटे छोटे साम्राज्य विकसित हुए वे आपस में भूमि को कब्जे को लेकर संघर्ष करते रहे। मगध साम्राज्य उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य रहा।
उत्तर भारत का समतल और साधन सम्पन्न भू भाग खेती और पशपालन के लिए उपयुक्त थी इसी कारण भारत में जितनी भी सम्यताएं विकसित हई सभी उत्तर भारत में हुई। उत्तर भारत में खनिजों के प्रचुर भण्डार भी थे और यही भारत की समरिधि के किस्से कहानियां उत्तर पश्चिम और मध्य एशियाई शासकों के लिए हमेशा आकर्षण के केन्द्र रहे। इसी कारण प्राचीन भारत में आर्य, सिकन्दर, हूण, कुषाण, मध्य काल में गजनवी, गोरी, गुलाम वंश, मुगलों और अहमद शाह अब्दाली को भारत पर आक्रमण के लिए प्रेरित किया। पश्चिमी आक्रान्ताओं में आर्य एवं मुगलों को छोडकर शेष सभी आक्रान्ता भारत के प्राकतिक संसाधनों एवं धन-धान्य को लेकर अपने मूल देश वापस चले गये। लेकिन आर्य और मुगल लम्बे समय तक उत्तर भारत के अधिकांश भूभाग पर अपना शासन स्थापित कर राज करते रहे। आर्य जहां भारतीय मूल का हिस्सा बन गये वहीं मुगलों ने अपना अलग अस्तित्व बनाये रखा जिसका समय के साथ वजूद भी खत्म हो गया। आज कभी कभी अखबारों में खबरें छपती हैं कि सम्पन्न मुगलों के वंशज दिल्ली के किसी अनजान से स्थान पर अपनी चाय की दुकान करते हैं।
भारत का दक्षिणी भाग पहाडियों की वजह से आक्रान्ताओं से अछूता रहा। दक्षिण भारत के राजाओं में स्थानीय मुद़दों एवं संसधनों पर कब्जे को लेकर संघर्ष होता रहा। उत्तर भारतीय साम्राज्य के कुछ शासकों ने अपने शासन काल में जैसे अशोक, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, अकबर और औरंगजेब के शासन काल में दक्षिण भरत पर कब्जे को लेकर प्रयास किये। शेष समय उत्तर भारत और दक्षिण भारत हमेशा से अलग अलग सभ्यताओं का प्रतीक बना रहा।
अंग्रेजों के आगमन से उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत की राजनैतिक सामाजिक एवं आर्ािक स्थितयों में परिवर्तन शुरु हुए। अग्रेज समुद्री मार्ग से दक्षिण भार के समुद्र से सटे नगरों में व्यापार के लिए भारत मे प्रवेश किये। अंग्रेज अपने साथ नवीन सोच एवं तकनीकी लेकर भारत में आये और इसी आधार पर दक्षिण भारत के आधुनिक व्यावसायिक एवं औद़योगिक केन्द्र के रूप में विकसत हुए। दक्षिण भरर का मुम्बई अंग्रेजों के शासन काल मेकं एक प्रमुख व्यावसायकि केन्द्र के रुप में विकसित हुआ। यह केन्द्र अंग्रेजों के भारत छोडने के बाद भी प्रमुख केन्द्र बना रहा। भारत वर्ष के कोने- कोने से पढे लिखे बुद्धिजीवी कलाकार एवं मजदूर मुम्बई में बसे और अपनी सोच ज्ञान एवं श्रम के बल पर मुम्बई का आथ्र्ज्ञियक एवं सामाजिक विकास किया। आज सम्पूर्ण भार तकी बडी कम्पनियों का मुख्यालय मुग्बई में है। ये पूंजीपति गुजरात, राजस्थान उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश बिहार पंजाब हरियाणा एवं देश के अन्य भागों के मूल निवासी है। फिल्म उद़योग जो मुम्बई की शान है अधिकांश गैर महाराष्टियों के इर्द गिर्द घूमता है। आज फिल्म इडस्टी के अधिांकश सुपरस्टार गैर मराठी है। मुम्बई और महाराष्ट के विकास में केवल मुम्बई वासियों एवं महाराष्ट के लोगों का योगदान नहीं है बल्कि सम्पूर्ण भारत का मुम्बई के विकास में योगदान है।
इन तथ्यों के बावजूद मुम्बई में हमेशा मराठी एवं गैर मराठी के बीच संघर्ष चलता रहा। वर्ष 2008 महाराष्ट नव निर्माण सेना के सक्रियता का वर्ष रहा। मनसे द्वारा उत्तर भारतीयों के विरुऋ एक अभियान चलाया गया। इस अभियान से उत्तर भारत के वे लोग जो मुम्बई के व्यावसायिक गतिविधियों के रीढ हैं के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। केवल आम मजदूर, दुकानदार एवं रिक्शा चालकों के विरुद्ध मारपीट की कार्रवाई की गई। आज उत्तर भारतीय मनसे के लिए राजनीति करने के लिए बढिया मुद़दा बन गये है।
उत्तर भारत के राज्य मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश एवं बिहार जो प्राकतिक एवं मानव संसाधनों के अपार भण्डार हैं का आर्थिक एवं सामाजिक विकास क्यों नहीं हो पा रहा है। भारतवर्ष के दस में से छह प्रधानमंत्री देने वाला राज्य आज बेबस क्यों है। प्रदेश आज हर मामले में क्यों पिछड रहा है। उत्तर प्रदेश का तीव्र आर्थिक एवं सामाजिक विकास कैसे किया जाए। इन्हीं मुद़दों की तलाश में इस ब्लाग को प्रारम्भ किया गया है। इस ब्लाग पर आप सभी भारतीयों का स्वागत है।
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