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मुस्लिम समाज का बदलता दृष्टिकोण

यूपी उदय मिशन
यूपी उदय मिशन
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विगत कुछ दिनों मे भारत मे घटित घटनाओं पर मुस्‍लमानों की प्रतिक्रिया उनके बदलते दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है। सबसे पहली घटना सानिया मिर्जा की शादी की थी। सानिया मिर्जा की शादी पर मैने अपने एक मुस्लिम मित्र की प्रत्रिक्रिया जाननी चा‍ही। उन्होने जो प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की वह काबिले गौर है। उन्‍होने कहा कि सानिया मिर्जा का शोएब मलिक से शादी करना भारतीय मुसलमानो के मुह पर तमाचा है। उन्‍होने कहा कि क्‍या भारत मे एक भी मुस्लिम लडका ऐसा नही था जिससे सानिया मिर्जा शादी कर सकें। उन्‍होने कहा कि यह भारतीय मुस्‍लमानों के लिये डूब मरने लायक है। साथ ही उन्‍होने पाक मीडिया एवं पाक हुक्‍मरान की प्रतिक्रिया पर भी अफसोस व्‍यक्‍त किया। उन्‍होन कहा कि पाक मीडिया ने हमारे भावनाओं की कद्र नही की। उन्‍होने इसे पाकिस्‍तान की विजय के रूप मे प्रचारित किया। पाक मीडिया और हुक्‍मरानों के इस व्‍यवहार से भारतीय मुसलमान आहत हैं। दूसरी घटना मुम्‍बई मे  पाक आतंकवादियों द्वारा किया गया कत्‍लेआम और उस पर मुम्‍बई की कोर्ट द्वारा  दी गई सजा पर मुस्लिम समाज द्वारा व्‍यक्‍त की गई प्रतिक्रिया है। मुम्‍बई हमले मे कई मुसलमान भी मारे गये थे। जब मुम्‍बई की कोर्ट द्वारा अजमल आमिर कसाब को फासी की सजा सुनाई गई तो कई मुसलमानों ने मिठाईयां बाटी। कई मुसलमानों ने मिठाई  बाटते हुए अपने फोटो भी अखबारों मे छपवाये। यह एक सकारात्‍मक बदलाव  का संकेत है। आम तौर पर जब किसी आतंकी को सजा सुनाई जाती थी तो या तो मस्लिम समाज कोई प्रतिक्रिया नही व्‍यक्‍त करता था या उस पर विरोध जताता था लेकिन पहली वार किसी आतंकी की सजा पर मुस्लिम समाज खुलकर सर्मथन करता नजर आ रहा है। यह भारतीय मुसलमानों के दृ‍टिकोण मे परिवर्तन का प्रतीक है। इससे पूर्व ससंद पर हमले के आरोपी अफजल गुरूवार को दी गई सजा इसलिये टाल दी गई क्‍योकि उससे कश्‍मीर मे गम्‍भीर प्रतिक्रिया की सम्‍भावना व्‍यक्‍त जा रही थी। तीसरी घटना यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा मे कश्‍मीर के एक युवक के प्रथम स्‍थान पाने पर घाटी मे व्‍यक्‍त  की गई प्रतिक्रिया है। कश्‍मीरी युवक द्वारा प्रथम स्‍थान पाने पर घाटी मे जश्‍न का माहौल था। उक्‍त घटना यह दर्शाती है कि कश्‍मीर के लोगों का अब भी भारतीय सत्‍ता तंत्र मे विश्‍वास है आवश्‍यकता है उसे गति प्रदान करने की।

पोलियों के मुददे पर मुस्लिम धर्मगुरूओं के दृष्टिकोण मे आया बदलाव भी एक सकारात्‍मक पहल है। आज मुस्लिम धर्म गुरू पोलियो की दवा पिलाने के लिये अपील जारी कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों मे रहने वाले मुसलमान सुबह से शाम तक रोजी रोटी मे व्‍यस्‍त रहता है उसे पाकिस्‍तान की चिन्‍ता नही है उसे चिन्‍ता है तो ए‍क अदद अपनी जिविका की।शिक्षा के प्रति भी मु‍स्लिम समाज के दृष्टिकोण मे बदलाव आया है। आज दीनी तालीम के साथ-साथ विज्ञान और अग्रेजी की पढाई के प्रति रूझान बढ रही है। आज लोग अपने बच्‍चों को डाक्‍टर और इन्‍जीनियर तथा सरकारी मुलाजिम बनाना चाह रहे हैं। दीनी तालीम के प्रति घटता रझान और विज्ञान और अंग्रेजी की शिक्षा के प्रति बढती रूचि सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है। आज मुस्लिम महिलाएं परिवार नियोजन के साधन प्राप्‍त करने के लिये डाक्‍टर और पैरा मे‍डिकल स्‍टाफ से संम्‍पर्क कर रही है। कई स्‍थानों पर मुस्लिम महिलाएं नसबंदी भी कराती पाई गई।

इन सब के वावजूद मुस्लिम समाज मे अभी प‍रिवर्तन की दर धीमी है कारण है समाज मे शिक्षा और जागरूकता का अभाव। यदि हम आज से 50 साल पूर्व के हिन्‍दू समाज को देखें तो पायेगें की हिन्‍दू समाज मे इससे भी ज्‍यादा रूढिवाद व्‍याप्‍त था। हिन्‍दू समाज तत्‍समय फैलने वाली चेचक हैजा ताउन और प्‍लेग जैसी बीमारियों को देवी देवताओं से जोडकर कर देखता था और दवाओं से परहेज करता था; लेकिन शिक्षा के विस्‍तार के साथ समाज मे फैली भ्रांतियां समाप्‍त हो गई हैं। परिणाम स्‍वरूप आज दवाओं के प्रयोग से इन बीमारियों का खात्‍मा हो चुका है। हिन्‍दू समाज मे आया यह परिवर्तन शिक्षा के विस्‍तार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होने के कारण सम्‍भव हो सका है। मुस्लिम समाज मे भी शिक्षा के विस्तार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्‍यकता है। आज मुस्लिम समाज का एक छोटा वर्ग ही सही आधुनिक हुआ है। उसमे शिक्षा का विस्तार हुआ है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित हुआ है लेकिन अब भी वह बहुत छोटा है। आवश्‍यकता है उसके विस्तार की जो समय के साथ साथ बढेगा।

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