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राष्टहित बनाम स्वाहित

यूपी उदय मिशन
यूपी उदय मिशन
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दिनांक 19-5-2010 को केन्‍द्रीय गृह मंत्रीजी का बयान अखबारों मे छपा। पढकर बडी निराश हुई। भारत सरकार के केन्‍द्रीय गृह मंत्री नक्‍सलियों से 72 घंटे का युद्ध विराम चाहते है और नक्‍सली उसके आग्रह को ठुकरा देते है। भारत जैसे एक शक्तिशाली राष्‍ट के गृह मत्री की यह दुर्दशा के क्‍या कारण हो सकते है। मै इस पर पडताल करने बैठी तो मुझे इस बात का एहसास हुआ कि जब स्‍वहित राष्‍ट हित से उपर हो जाता है तो सत्‍ता प्रतिष्‍ठानों की यह दुर्गति होनी ही है। विगत कई सप्‍ताहों से भारतीय सत्‍ता प्रतिष्‍ठान और काग्रेस पार्टी के वीच नक्‍सली टकराव को लेकर द्वन्‍द चल रहा था। जहां गृह मंत्री नक्‍सलियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही के पक्षधर है वही कांग्रेस पार्टी की मुखिया नक्‍सलियों के विरूद्ध नरम रूख अपनानें की पक्षधर हैं। 17 मई को गृह मंत्रीजी नक्‍सलियों के विरूद्ध वायु सेना के प्रयोग की बात कर रहे थे और शिकायत कर रहे थे कि सुरक्षा मामलो की कैबिनेट कमेटी ने नक्‍सलवाद से निपटने के लिये उन्‍हे सीमित अधिकार दिये है वही गृहमंत्री जी आज अपनी बात से पलट गये। ऐसा क्‍यों है। अब सवाल उठता है कि अगर नक्‍सलियों के विरूद्ध नरम रूख अपनाया जाय तो गृह मंत्रीजी क्‍या करे। क्‍या उनके विरूद्ध चल रहे अभियान को बन्‍द कर सुरक्षा बलों को प्रभावित इलाकों से वापस बुला ले और आम जन को नक्‍सलियों के रहमो करम पर छोड दे; या उनको असमंजस की स्थिति मे नक्‍सलियों के सामने मरने के लिये छोड दे। काग्रेस के वरिष्‍ठ नेता प्रभावित इलाकों मे विकास कार्य कराने की बात करते है लेकिन क्‍या प्रभावित इलाकों मे विकास कार्य कराया जाना सम्‍भव है जिन क्षेत्रों मे सुरक्षा बलों के प्रवेश के लाले पडे है उन इलाकों मे विकास कार्य कैसे कराया जाय एक विचारणीय विन्‍दु है। दिल्‍ली मे बैठकर बयानवाजी करना आसान है लेकिन जमीनी स्‍तर पर कार्यवाही करना बडा मुश्किल कार्य है।

वास्‍तव मे काग्रेस का पार्टी हित हमेशा राष्‍ट हित से उपर रहा है। कांग्रेस विहार पश्चिम बंगाल और मध्‍य प्रदेश के चुनावों के मददेनजर नक्‍सलियों के विरूद्ध कोई कठोर कदम नही उठाना चाह रही है। नक्‍सलियों के विरूद्ध किसी कार्यवाही मे उसे राजनैतिक हानि होता नजर आ रहा है।

इस संदर्भ मे मै आपको महाराष्‍ट की घटना से अवगत कराना चाहूगी। महाराष्‍ट मे जब महाराष्‍ट नव निर्माण सेना उत्‍तर भारतीयों के विरूद्ध उत्‍पीडन की कार्यवाही कर रही थी उस समय कांग्रेस नीत सरकार मनसे के विरूद्ध कार्यवाही इसलिये नही कर रही थी कि मनसे के मजबूत होने से भाजपा शिवसेना गठबंधन को नुकसान होता नजर आ रहा था। इसलिये महाराष्‍ट सरकार ने मनसे के विरूद्ध कोई काठोर कदम उठाने से कतराती रही या यों कहे कि मनसे के कार्यवाही का मूक समर्थन करती रही। यह सही है कि उसके इस कदम से कांग्रेस को फायदा हुआ और कांग्रेस नीत गठबंधन पुन: सत्‍ता मे आ गया लेकिन उत्‍तर भरतीयों और मराठियों के बीच जो कटुता पैदा हुई उसका खामियाजा आने वाले समय मे महाराष्‍ट को भुगतना पडेगा।

इसी प्रकार उत्‍तर प्रदेश मे कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी के आधार ओट को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिये रथ यात्राये निकाल रही है। कोई पार्टी आपना जनाधार बढाये इसमे किसी को कोई गुरेज नही है लेकिन अगर वास्‍तव मे कांग्रेस दलितो का भला करना चाह रही हैं तो उसे राज्‍य सरकार के साथ मिलकर कार्य करने मे क्‍या आपत्ति है। वास्‍तव मे कांग्रेस का उददेश्‍य दलितों का भला करना नही है बल्कि दलित मतो के सहारे कांग्रेस उ0प्र0 मे सत्‍ता प्राप्‍त करना चाह रही है।

इसी प्रकार कांग्रेस के प्रधानमंत्री जी कहते है कि भारत के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला हक है। उनके इस विचार से किसी को कोई आपत्ति नही है लेकिन क्‍या कांग्रेस पार्टी बतायेगी कि क्‍या मात्र संसाधन उपलब्‍ध कराने से मुस्लिम समाज का भला हो जायेगा। मुस्लिम समाज की वास्‍‍तविक समस्‍या क्‍या है और किस प्राकर उसका समाधान करेगी। वास्‍तव मे मुस्लिम समाज की मुख्‍य समस्‍या उसकी अशिक्षा बढती जनसंख्‍या नवीन शिक्षा और तकनीकी के प्रति कम रूझान है जिस पर कांग्रेस पार्टी बोलने को तैयार नही है। क्‍यों क्‍योंकि वह समझती है कि इससे उसके मुसलिम जनाधार मे कमी आ सकती है।

काग्रेस पहले समस्‍याओं को फोडे को नासूर बनाती है और फिर उसे छोड देती है मरने के लिये। पंजाब मे अकालियों को कमजोर करने के लिये भिन्‍डरवाले को पैदा किया और जब पंजाब समस्‍या नासूर बन गयी तो आपरेशन ब्‍लू स्‍टार कर प्रदेश को दशको तक आतंकवाद की आग मे झोंके रखा।अगर द्विग्विजय सिंह मानते है कि नक्‍सलवाद की उपज का कारण विकास है तो मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ मे 10 वर्षो तक उन्‍होने शासन किया था उस दौरन उन्‍होने आदिवासियों के लिये क्‍या खास किया था।

वास्‍तव मे कांग्रेस जिस रास्‍ते पर चल रही है उससे आने वाले समय मे एक कश्‍मीर और पैदा होने वाला है जिसका खामियाजा देश को भुगतना पडेगा। अगर चिदम्‍बरम जी को इसी प्रकार बांधे रखा गया तो मेरा अनुमान है कि शीघ्र ही हम फिर उनके इस्‍तीफे की खबर सुनेगे और इस वार उनका इस्‍तीफा असली होगा दिखावे वाला नही।

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