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इस समय समाज मे निराशावाद वडी तेजी से फैल रहा है। कोई भारत के राजनैतिक तंत्र को कोस रहा तो कोई अार्थिक तंत्र को काई सामाजिक तंत्र को तो कोई धार्मिक तंत्र को। कुछ लोग इस कदर निराश हो गये है कि वे भारत को एक विफल राष्ट की श्रेणी मे रख रहे हैं।
वास्तव में भारत एक विफल राष्ट नही है। आप इस बात से सहमत होगें कि भारतवर्ष इस समय विकास के दौर से गुजर रहा है। भारत का राजनैतिक सामाजिक आर्थिक एवं धार्मिक तंत्र विकास के दौर से गुजर रहा है। जब कोई तंत्र विकास के दौर से गुजर रहा होता है उस समय उस तंत्र का संक्रमण काल होता है; संक्रमणकाल मे विरोधाभासों के कारण अव्यवस्था फैलती है। इस संबन्ध मे मै आपको एक उदाहरण देना चाहूगी। जब आप किसी पौधें को रोपते है और पौधा बढने लगता है उस समय आप इस बात का अन्दाज नही लगा पाते हैं कि वास्तव मे पौधे का स्वरूप क्या होगा; उस समय उसकी काट छाट करके उसे मन चाहा स्वरूप दिया जा सकता है। उस समय जो व्यक्ति उस पौध की देख रेख कर रहा होता है उसके सोच के अनुरूप उस पौध का विकास होता है। यही स्थिति भारतवर्ष की है। भारत एक विकासशील देश है इसके विकास मे एक अरब चौदह करोड लोगों का योगदान है ये लोग जिस तरह चाहेगे भारत का विकास उसी प्रकार होगा। रही बात देश मे फैली अव्यवस्था की तो यह संक्रमणकाल हर देश और समाज मे फैलती है।
यूरोप जो आज विश्व का राजनैतिक सामाजिक आर्थिक एवं धार्मिक रूप से सवसे विकसित क्षेत्र माना जाता है का भी अतीत बहुत उतार-चढावपूर्ण रहा है। यदि हम यूरोप के अतीत मे झाकें तो उसका अतीत बहुत खूनी रहा है राजनैतिक लडाईयों से यूरोप का इतिहास भरा पडा है। राजनैतिक श्रेष्ठता के लिये 431-404 ईशा पूर्व स्पार्टा एवं एथेंस के बीच युद्ध;264-146 ईशा पूर्व रोम और कार्थेज के बीच युद्ध हुआ। ब्रिटेन और फ्रांस जो आज यूरोप के मित्र राष्टों की श्रेणी मे आते है 1337 से 1543 तक 206 वर्षों तक युद्धरत रहे जिसे विश्व इतिहास मे सौ वर्षो का युद्ध कहा जाता है। इसी प्रकार आस्टिया;रसिया; फ्रांस;स्वेडन और पोलण्ड ने परसिया ब्रिटेन और पुर्तगाल से सात वषों तक युद्ध किया जिसे सात वर्षीय युद्ध कहा जाता है। 23 वर्षो तक चला नेपोलियानिक युद्ध;रूस वनाम तुर्की एवं अन्य के बीच चला 13 वर्षीय क्रीमियन युद्ध; 1914 से 1018 तक चला प्रथम विश्व युद्ध तथा 1939 से 1945 तक चला द्वितीय विश्व युद्ध यूरोप मे लडा गया। प्रथम विश्व युद्ध मे केवल एक स्थान सोमे नदी के किनारे पर हुए युद्ध मे 10 लाख एवं द्वितीय विश्व युद्ध मे स्टेलिनग्राड मे हुए युद्ध मे 20 लाख से अधिक लोग मारे गये।
जहा तक युरोपीय देशों मे हुए गृह युद्ध और उत्तराधिकार युद्ध का प्रश्न है इसका भी इतिहास बहुत रक्तरंजित रहा है।1642 से 1651 तक चला ब्रिटिश सिविलवार;स्पेनिश उत्तराधिकार के लिये फ्रांस और अन्य यूरोपीय शक्तियों के बीच;आस्टियन उत्तराधिकार के लिये बिट्रेन एवं फ्रान्स के बीच युद्ध लडा गया। 1861 से1865 के बीच अमेरिकन गृह युद्ध; स्पेनिस सिविलवार भी विकसित रास्टों मे ही लडा गया था। धर्म के लिये भी यूरोप मे लम्बी लम्बी लडाईयां लडी गई। मुस्लिमों एवं क्रिश्चियन के बीच 1095 से 1291 तक 196 तक लडा गया धर्मयुद्ध; यूरोप मे कैथेलिक एवे प्रोटेस्टेंट के बीच 1618 से 1648 तक लडा गया तीस वर्षीय युद्ध यूरोप के खूनी इतिहास का गवाह है।
जब समाज विकास के दौर से गुजरता है तो उस समय राजनीतिक; आर्थिक;सामाजिक एवं धार्मिक अस्थिरता का दौर चलता है। उस स्थिति से गुजरकर ही कोई राष्ट परिपक्व होता है। इसलिये मै समझता हू कि हमे ज्यादा निराश नही होना चाहिए। समय के साथ सब कुछ ठीक हो जायेगा। हम लोग जितना कुछ कर सकें सकारात्मक करें। समय सब कुछ ठीक कर देगा।
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