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आओ प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री खेले

यूपी उदय मिशन
यूपी उदय मिशन
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सन 2014 मे लोक सभा चुनाव होना है। जन सामान्‍य मे धारणा बनती जा रही है कि 2014 के वुनाव मे कांग्रेस को चुनाव हारना है। अब प्रश्‍न उठता  है कि कांग्रेस के बाद कौन। देश की राजनीति दो धडों मे बटी है तथाकथित सेकुलर तथा कथित सांम्‍प्रदायिक। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी  जिसे भारतीय राजनीति मे सांम्‍प्रदायिक राजनैतिक पार्टी के रूप मे प्रचारित किया जाता है तो दूसरी तरफ कांग्रेस समाजवादी पार्टी जनता दल यूनाईटैड जैसी तथाकथित सेकुलर पार्टियां। काग्रेस जिसे अब चुकी हुई पार्टी माना जा रहा है जो लम्‍बे समय से सेकुलर होने का दम्‍भ भर रही थी के पराभव के बाद उसका स्‍थान कौन ले इस बात को लेकर भाजपा विरोधियों मे होड मची है। कांग्रेस द्वारा खाली किये गये प्रधानमंत्री के पद पर कौन तथाकथित सेकुलर  बैठे इस बात को लेकर जंग छिड गई है। इस जंग मे नये नये सामिल हुए नितीश जी भी प्रधानमंत्री बनने के हसीन सपने पाले हुए है। अब वे कांग्रेस द्वारा खाली किये गये सेकुलरवाद के झन्‍डाबरदार बनना चाह रहे है। समय समय पर नितीश कुमार जी के प्रधान मंत्री बनने की इच्‍छा भी खबरों मे आती रही है। बुरा प्रधानमंत्री बनना या उसके सपने देखने मे नही है बुराई हिप्‍पोक्रेसी मे है। हमारे यहां कहा जाता है गुड खायें और गुलगुले से परहेज करे। जब विहार मे सरकार बनाना था तब भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने मे कोई परहेज नही था आज जब पार्टी नरेन्‍द्र मोदी जी को प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार घेाषित कर रही है तो नितीश कुमार जी को भारतीय जनता पार्टी मे बुराई नजर आने लगी। राष्‍टीय और अर्न्‍तराष्‍टीय मीडिया के सर्वेक्षण के अनुसार नरेन्‍द्र मोदी जी प्रधानमंत्री पद के सवसे उपयुक्‍त उम्‍मीदवार है। आज प्रधानमंत्री पद की दौड मे वे भारतीय जनता पार्टी के सबसे मान्‍य उम्‍मीदवार है ऐसे मे नितीश जी कैसे अपेक्षा करते है कि पार्टी उनके स्‍थान पर किसी अन्‍य को उम्‍मीदवार घोषित कर देगी। नितीश जी से अनुरोध है कि वे क़पया बताये कि विहार के विधान सभा चुनाव मे अपने स्‍थान पर किसी अन्‍य को विहार का मुख्‍यमंत्री के रूप मे पेश कर चुनाव क्‍यों नही लडे। नितीश जी इतने ही सेकूलर थे तो उस समय जब गोधरा की घटना हुई थी और वे भारत सरकार मे भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार मे मंत्री थें उस समय उन्‍होने  इस्‍तीफा क्‍यों नही दे दिया था। ऐसा उन्‍होने उस समय इसलिये नही किया था क्‍योंकि उस समय नितीश जी को अपना वजूद बचानें के लिये भारतीय जनता पार्टी की आवश्‍यकता थी।  आज वे बडे नेता हो गये है वही भारतीय जनता पार्टी और नरेन्‍द्र मोदी खलनायक नजर आ रहे हैं । एक राजनैतिक नेता के रूप मे नितीश कुमार जी का व्‍यवहार ऐसा है जैसे कोई आम आदमी व्‍यवहार कर रहा हो। नितीश कुमार जी से ऐसे व्‍यवहार की अपेक्षा नही की जाती थी। नरेन्‍द्र मोदी जी गुजरात के मुख्‍य मंत्री है। वहां की जनता ने उन्‍हे चुनकर मुख्‍यमंत्री बनाया है वैसे ही जैसे विहार की जनता नितीश कुमार जी को विहार का मुख्‍यमंत्री बनाया है। अब अगर नरेन्‍द्र मोदी जी नितीश कुमार पर आरोप लगाने लगे तो उन्‍हे कैसा लगेगा। गुजरात की जनता गोधरा की घटना भूल गई है लेकिन तथा कथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां उसे भूलने नही देती। गोधरा गोधरा करते करते कांग्रेस का गुजरात मे सत्‍यानाश हो गया अब नितीश कुमार की बारी है। सन 2014 के चुनाव मे भारतीय जनता पार्टी सत्‍ता मे आयेगी नितीश कुमार जी साथ रहे या न रहे। मै तो मानती हूं कि नितीश कुमार जी भारतीय जनता पार्टी के लिये लम्‍बी दूरी के  सहयोगी के रूप मे विश्‍वसनीय नही रहे। भारतीय जनता पार्टी को नितीश जी के विरोध की परवाह किये विना मोदी जी को प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित कर देना चाहियें। जिसे साथ रहना है रहे जिसे जाना है जाय। अगर हम मजबूत होगें तो कई साथी मिल जायेगें और अगर हम कमजोर हुये तो सभी साथ छोड कर चले जायेगे। जरूरत है स्‍वयं को मजबूत करने की। जय हिन्‍द जय भारत।

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