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आदरणीय सिंह साहब आपका लेख जिसको दैनिक जागरण ने अपने अखबार मे छापा है के लिये बधाई। आपका लेख पढ कर एक बात समझ मे आई कि अखबार वाले सही और गलत के आकलन के लिये न जाने कैसे कैसे मानक तय करते है । एक सामान्य स्तरीय लेख को महत्वपूर्ण् बना दिया। खैर बात लेख की करूगी। आपने अपने लेख मे कहा कि नरेन्द्र मोदी एक कटटर हिन्दूवादी नेता है। मोदी गोधरा काण्ड के सूत्रधार है। सिंह साहब आप बतायें कि गोधरा काण्ड है क्या। यदि आपको ध्यान होगा तो आप जानते होगे कि गोधरा मे साबरमती एक्सप्रेस से अयोध्या से वापस आ रहे कारसेवको को गाडी के डिब्बे मे पेटोल डाल कर जला दिया गया था। क्या नरेन्द्र मोदी ने अपने लोगों को भेजकर अपने ही कारसेवको को जलवा दिया था। यदि नही तो इसके लिये नरेन्द्र मोदी कैसे जिम्मेदार है। दूसरी बात गोधरा काण्ड के बाद गुजरात मे दंगे हुए। उन दंगों के लिये नरेन्द्र भाई को जिममेदार माना जाता है। यह सही है कि नरेन्द्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्य मत्री थे। उनके मुख्य मत्रित्व काल मे दंगे हुए लेकिन आप गौर करे तो भारत वर्ष मे देश की आजादी के बाद से गुजरात दंगो के पहले भी कई भीष्ण दंगे हुण्। 1987 मे मेरठ का मलियाना दंगा कई दिनो तक चला। बहुत छोटी घटना पर दंगा हुआ। इस घटना की निखिल चक्रवर्ती ने तुलना हिटलर की बरबरता से की थी। कुलदीप नैय ने इसकी तुलना नैली से की थी रजनी कोठारी ने इसे इथनोसाइड का नाम दिया था। एम जे अकबर ने इस घटना मे पी0ए0 सी0 भूमिका के बारे मे कहा कि पी0ए0सी0 का व्यवहार फासीवादी था। यह घटना न तो नरेन्द्र मोदी के समय हुई और न ही केन्द्र मे भारतीय लनजा पार्टी की सरकार थी। जिस समय यह घटना हुई उस समय केन्द्र और राज्य दोनो मे कांग्रेस की सरकार थी। तो क्या कांग्रेस सरकार दोषी नही थी। उसे कोई क्यों नही फासीवादी कह जाता। 1984 मे इन्दिरा गांधी जी की हत्या हुई उस समय पूरे देश मे शिखों के विरूद्ध हुए दंगे गुजरात से ज्यादा भीष्ण थें। उस पर कोई क्यों नही आंसू बहाता वे लोग भी तो अल्पसंख्यक है। उस घटना पर आसू बहाने वाला कोई नही है क्योकि सिखों की संख्या इतनी कम है कि वे राजनीति मे किसी निर्णायक भूमिका मे नही हैं दूसरी बात कि सिख समाज का एक हिस्सा भारतीय जनता पार्टी के साथ है। इसलिये 1984 के दंगे को सब भूल गये। एक महत्वपूर्ण बात और है अधिकांश समय केन्द्र मे कांग्रेस की सरकार रही और वह गुजरात के मुददे को जिन्दा रखना चाह रही थी इसलिये मिडिया के माध्यम से मुददे को जीवित रखा गया। आज नरेन्द्र भाई मोदी को गुजरात की जनता अपना मुख्यमंत्री बनाये हुए है उसे कोई कष्ट नही है लेकिन गुजरात के बाहर धर्म निरपेक्षता के झण्डाबरदार उसे जीवित किये हुए हैं। रही बात उनके अहंकारी होने का तो आप ही बतायें उनमे अहंकार कहां लगा। संजय जोशी जी जो संघ से वी0जे0पी0 मे आये थे पुन: संघ मे चले गये। इस प्रकार कई लोग आवश्यकतानुसार संघ से वी0जे0पी0 मे आते है और काम खत्म होने पर पुन: संध मे चले जाते है। यह संघ और वी0जे0पी0 का आन्तरिक मामला है इससे किसी के पेट मे दर्द क्यों होता है। कांग्रेस का कामराज प्लान क्या था। अब आप कहेगे कि मेरे कहने का मतलब संध और वी0जे0पी0 का वही सम्बन्ध है जो कांग्रेस के संगठन और सरकार का तो यह सही है। वी0जे0पी0 और स्वयं सेवक संघ एक दूसरे के पूरक है। संघ पंथ निरपेक्षता आदि के वारे मे अगर जानना हो तो श्री हदय नरायन दीक्षित जी का दिनांक 29 जून 2012 को दैनिक जागरण मे छपे लेख को पढें। एक बात और दिनांक 28 जून 2012 को टी0वी0 चैनल न्यूज 24 पर एक खबर चल रही थी जिसे खुलासा किया गया कि आतंकी अबू हमजा ने बताया है कि लश्कर आतंकवादियों के प्रशिक्षण कैम्पों मे गुजरात दंगो का उल्लेख करके उन्हे भारत राष्ट कि विरूद्ध जेहाद के लिये तैयार किया जाता है। हमारे राजनेता गुजरात दंगो का प्रयोग कर अपनी राजनीति कर रहे है और लश्कर अपने जेहादी तैयार कर रहा है अब आप ही बतायें कि लश्कर और हमारे राजनेताओं की क्या फर्क है। यह सभी मानते है कि नरेन्द्र भाई मोदी ने गुजरात को एक विकसित राज्य बनाया। कांग्रेस जो धर्मनिरपेक्षता की झण्डाबरदार है ने देश को भ्रष्टाचार और अराजकता के गर्त मे ढकेला। आज जब अन्ना हाजरे जी भ्रष्टाचार के विरूद्ध अभियान चलाते है तो सभी उनके साथ खडे हो जाते हैं। लेकिन नरेन्द्र मोदी के उपर भ्रष्टाचार का आरोप न लगा पाने वाली टीम के अरविन्द केजरीवाल भी नरेन्द्र मोछी के विरूद्ध प्रचार करने गुजरात जाने वाले है। अजीब हिप्पोक्रेसी है। लोगों मे नरेन्द्र भाई मोदी का विरोध करने का एक चलन बन गया है। जैसे वी0जे0पी0 का विरोध करना धर्म निरपेक्षता का प्रमाण पत्र माना जाता है। विराध क्यो किया जा रहा है मालूम ही नही है। अरविन्द केजरीवाल ने क्या अब भ्रष्टाचार छोडकर धर्मनिरपेक्षता की लडाई शुरू कर दी है। कांग्रेस को अपने रणनीति पर पुर्नविचार करना चाहिए। गुजरात मे मोदी विरोध के वावजूद दो चुनाव जीत नही मिल सकी अब तो अपनी रणनीति पर पुर्नविचार करे। यू0पी0 के चुनाव मे अत्यधिक मुस्लिम तुष्टीकरण के वावजूद पार्टी को कोई महत्वपूर्ण सफलता नही मिली।
सिंह साहब क्या आप जानते है कि काफी लम्बे समय से देश मे कोई साम्प्रदायिक दंगा क्यो न ही हुआ। इसके लिये कोई राजनेता जिम्मेदार नही है बल्कि समाज की बदलती सोच जिम्मेदार है। दोनो वर्गो के लोग अब अपनी रोजी रोटी की बात करते है उन्हे अपनी जिविका कमाने से ही छुटटी नही है दंगे फसाद के बारे मे कौन सोचे। ये राजनेता अगर हमे याद न दिलाये तो शायद हम सब कुछ पुरानी बाते भूलकर नया अध्याय शुरू कर दे लेकिन ये लोग हमे जीने नही देगे। शायद आपको मै याद न दिलाती तो आप मलियाना काण्ड भूल गये होते। जिस प्रकार आप मिलयाना काण्ड भूल गये क्या उसी प्रकार गोधरा और गुजरात काण्ड नही भूल सकते। अन्त मे एक बात और कहना चाहूगी। अगर नरेन्द्र भाई मोदी जानबूझ कर गुजरात दंगा कराये होते तो उस घटना के बाद गुजरात मे और दंगे होने चाहिए थे। गुजरात दंगा गोधरा काण्ड की स्वत: परिणति थी जिसे दु:श्वप्न मानकर भूलना बेहतर है नही तो हम देश मे ही लश्कर का उददेश्य पूरा करने मे सहयोग करेगें।
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