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वर्ष 2009 मे कांग्रेस पार्टी के नेत़त्व मे यूपीए ने दूसरी बार सरकार का गठन किया। उक्त सरकार का नेत़त्व डा0 मनमोहन सिंह कर रहे है। डा0 मनमोहन सिंह एक प्रकान्ड विद्वान और महान अर्थशास्त्री है। लेकिन उनके नेत़त्व मे यूपीए टू असफल रहा। इसके कारणें के विश्लेषण से पूर्व मै यूपीए टू के गठन के बाद की कुछ घटनाओं का उल्लेख करना चाहूगी। मई 2009 मे यूपीए टू के गठन के बाद भारत सरकार ने देश के उन सभी 60 वर्ष से उपर उम्र के लोगों के लिये इन्दिरा गाधी पेशन योजना के नाम से पेशन शुरू की। इस योजना पर कितना धनराशि भारत सरकार ने खर्च किया मालूम नही लेकिन इस योजना से देश की अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नही हुआ। देश मे मनरेगा योजना के नाम पर 6400 हजार करोड की धनराशि का सत्यानाश हो रहा है। देश मे जब सब्सिडी खत्म करने की बात चल रही है देश मे पूर्व मे चल रही सार्वजनिक वितरण प्रणाली सवालों के घेरे मे है ऐसी स्थिति मे देश मे खादय सुरक्षा के नाम पर एक लाख करोड रूपये ये अधिक की फिजूल खर्ची का क्या औचित्य है। देश के अर्थ व्यव्स्था का संचालन आर्थिक नियम कानूनों को ध्यान मे रख कर नही चलाया जा रहा है बल्कि कुछ लोगों की व्यक्तिगत सोच के आधार पर चलाया जा रहा है। देश मे सब्सिडी खत्म करने की बात बाद मे आयेगी पहले अनावश्यक योजनाओं पर व्यर्थ मे खर्च हो रहे धन को बचाया जाय। नेशनल एडवाईजरी कौसिल के नाम पर मनमोहन सिेह जैसे अर्थशास्त्री को आर्थिक सलाह देने के लिये समिति के गठन का औचित्य समझ से परे है। जहां एक अर्थशासत्री के रूप मे मनमोहन सिंह खाध्य सुरक्षा के नाम संसाधनो की बरबादी मंजूर नही है वही नेशनल एडवाईजरी कौसिेल खाध्य सुरक्षा बिल को पास कराने के लिये क्रत संकल्प है। अब कोई कितना भी कहे कि मनमोहन सिंह जी और सोनिया गांधी जी के बीच आर्थिक मुददों पर मतभेद नही है सही नही है। देश को सत्ता के दो केन्द्रों का अभिषाप अभी दो वर्षों तक भुगतना है। टाईम मैग्जिन के लेख की आलोचना करना आसान है लेकिन वास्तविकता से मुह छिपा कर कितने समय तक देश को अंधेरे मे पायेगें आप। यही विदेश पत्रिकायें जब आपकी सराहना करती है तो ये पत्रिकाएं ठीक है लेकिन जब आलोचना करती है तो उनके प्रमाण पत्र की जरूरत नही है। अजीब हिप्पोक्रेसी है।
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