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युद्ध केवल सेना के द्वारा ही नहीं लड़ा जाता है बल्कि युद्ध पूरा देश लड़ता है। सी ए जी की रिपोर्ट के अनुसार भारत के पास केवल दस दिन तक युद्ध लड़ने के लिए गोला बारूद है। अब हम अगर चीन से युद्ध करने की बात करते हैं तो उसके क्षमता का भी आकलन कर लेना होगा। चीन का सकल घरेलू उत्पाद 11.२ ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है जबकि भारत का सकल घरेलू उत्पाद केवल 2.२६४ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। भारत की तुलना जब चीन से करते हैं तो भारत चीन से हर मामले में पीछे है। अगर हम चीन में शहरी क्षेत्रों में निर्मित मैट्रो की तुलना करें तो पाते हैं कि जहां चीन में मेट्रो रेल का शुभारंभ 1969 में हो गया था वहीं भारत ने मैट्रो रेल की शुरुआत 1984 में की। संघाई मैट्रो रेल जिसकी शुरुआत चीन ने 1993 में की थी आज वह संसार के सबसे बड़ी मैट्रो रेल परियोजना है। चीन ने 2009 से 2015 के बीच 25 शहरों में 87 मेट्रो परियोजनायें पूरी की जिनकी कुल लंबाई 3100 किलोमीटर है। चीन में इस समय 5636.5 किलोमीटर मैट्रो रेल परियोजनायें निर्माणाधीन है। इसकी तुलना मे भारत मे अब तक केवल 8 शहरों में 9 मैट्रो रेल परियोजनायें पूरी हुई हैं जिनकी लंबाई केवल 324 किलोमीटर है । देश मे केवल 520 किलोमीटर मैट्रो रेल परियोजनायें निर्माणाधीन हैं। भारत मे हाई स्पीड ट्रेन जिसे बुलेट ट्रेन भी कहा जाता है अभी शुरुआत नहीं हुई है चीन में 2016 तक 22000 किलोमीटर बुलेट ट्रेन का नेटवर्क था जो 2025 तक 38000 किलोमीटर हो जायेगा और इसे बढ़ाकर 45000 किलोमीटर तक करने कर प्रस्ताव है । चीन प्रतिदिन 2595 हाई स्पीड ट्रेन चलाता है जो संसार की कुल ट्रेनो का 60 प्रतिशत है । चीन संसार का पहला देश है जहां पहली चुम्बक आधारित रेल परियोजना शुरू की गई है । संघाई में 430 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ट्रेने संचालित हो रही है । भारत ने 2017 में एक पुल जिसकी लंबाई 9.15 किलोमीटर है का शुभारंभ किया है जबकि चीन ने अपने सबसे बड़े पुल दंयांग कुनसंग जिसकी लंबाई 164.8 किलोमीटर है को 2011 में चालू कर दिया था । चीन में 1992 में जहां केवल 7 बड़े पुल थे वहीं 2012 में 73 बड़े पुल निर्मित हो गये हैं । चीन में बड़े पुलों की कुल लंबाई 2884 किलो मीटर है । चीन ने विगत 30 वर्षो में आयरन और स्टील तथा सीमेंट उत्पादन की इतनी क्षमता विकशित कर ली है कि अब चीन को अपने कारखानों को बंद होने से बचाने और लोगों को रोजगार देने के लिए दूसरे देशों में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए परियोजना शुरू करनी पड़ रही है। चीन ने आगामी वर्षों में दुनिया के 60 देशों को जोड़ने के लिए 6 भूतल आधारित कॉरिडोर तथा 1 समुद्र तटीय कॉरिडोर शुरू करने जा रहा है । उक्त कार्य पर चीन आगामी सालों में 8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करेगा । चीन के 6 भूतल कॉरिडोर में एक है न्यू यूरेशिया लैंड ब्रिज कॉरिडोर जो पश्चिम चीन को रूस से जोड़ेगा दूसरा कॉरिडोर चीन मंगोलिया रूस कॉरीडोर जो उत्तरी चीन को पूर्वी रूस से जोड़ेगा । इसी प्रकार चीन मध्य एशिया पश्चिम एशिया कॉरिडोर जो पश्चिम चीन को तुर्की से जोड़ेगा और चीन इंडोचायना प्रायद्वीप कॉरिडोर जो दक्षिण चीन को सिंगापुर से जोड़ेगा। चीन म्यानमार बांग्लादेश भारत कॉरिडोर जो दक्षिण पश्चिम चीन को म्यांमार से जोड़ेगा और चीन पाकिस्तान कॉरिडोर जो दक्षिण पश्चिम चीन को पाकिस्तान से जोड़ेगा । इसके अतिरिक्त समुद्रीय सिल्क कॉरिडोर जो समुद्र के रास्ते चीन को भूमध्यसागर से जोड़ेगा । इन परियोजनाओं पर केवल एशिया में ही चीन आगामी दस वर्षों में नौ सौ मिलियन डॉलर खर्च करेगा । अब आप विचार करें जहाँ भारत मे एक किलोमीटर के पुल को पूरा करने में तीन साल लग जाते हों वह देश चीन से क्या लड़ सकेगा । हमे अपनी सेना पर भरोसा है वह लड़ सकती है लेकिन क्या हम अपनी सेना के युद्ध के लिए आवश्यक संशाधन उपलब्ध कराने में सक्षम होंगे । सोचे और फिर युद्ध की बात करें । जय हिंद ।
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